भारत के संविधान के विकाश का ऐतिहासिक सारांश
भारत के संविधान का ऐतिहासिक विकाश:-
भारत में 200 वर्षो के ब्रिटिश शासन के दौरान, कंपनी और क्राउन नियमों दोनों के तहत इस विधिकृत बड़ी भूमि पर बेहतर नियंत्रण के लिए विभिन्न अधिनयम पारित किय गए l ये अधिनियम देश के बर्तमान राजनितिक सरंचना और विभिन्न संवैधानिक प्रावधानों को बहुत प्रभावित करते है l
भारत में ब्रिटिश शासन की समयरेखा:-
1. कंपनी अधिनियम (1773-1857)
2. क्राउन नियम (1858-1947)
ब्रिटिश शासन के दौरान पारित महत्वपूर्ण अधिनियम और उनके प्रावधान:-
1. रेग्युलेटिंग एक्ट, 1773
अधिनियम की विशेषताएँ:-
Ø यह अधिनियम भारत के कंपनी मामलों को नियमित करने के पहला प्रयाश था
Ø इसने भारत में केन्द्रीय प्रशासन की नींव रखीं
Ø बंगाल्के गवर्नर, बंगाल के गवर्नर-जनरल बनें (लार्ड वारेन हेस्टिंग्स बंगाल के पहले गवर्नर-जनरल बनें थे)
Ø बंगाल के गवर्नर-जनरल की सहायता के लिय 4 सदस्यों की कार्यकारी परिषद बने गयी
Ø बंगाल के गवर्नर-जनरल के अधीनस्थ मद्रास और बॉमबे प्रेसीडेंसी के गवर्नर बनाए गए
Ø 1 मुख्य न्यायाधीश और 3 अन्य न्यायाधीशों के साथ कलकत्ता के सर्वोच्च न्यायालय की स्थापना का प्रावधान
Ø कंपनी के कर्मचारी को किसी भी निजी व्यापार में शामिल होने और स्थानीय लोगों के रिश्वत लेने पर रोक लगा दी
Ø कंपनी के निदेशकों केकोम्पन्य के लिए भारत में अपने राजस्व, नागरिक और सैन्य मामलों के बारें में ब्रिटिश सरकार को रिपोर्ट करने का प्रावधान किया