भारत- ओमान समझौता
चर्चा में क्यों?
हाल ही में भारत और ओमान ने सैन्य सहयोग के साथ-साथ समुद्री सुरक्षा पर समझौता ज्ञापन (Memoranda of Understanding- MoUs) का नवीनीकरण किया।
प्रमुख बिंदु:
भारत- ओमान संबंध:
- सल्तनत ऑफ ओमान (ओमान) खाड़ी देशों में भारत का रणनीतिक साझेदार है और खाड़ी सहयोग परिषद (Gulf Cooperation Council- GCC), अरब लीग तथा हिंद महासागर रिम एसोसिएशन (Indian Ocean Rim Association- IORA) के लिये एक महत्त्वपूर्ण वार्ताकार है।
- भारत IORA का सदस्य है परंतु GCC और अरब लीग का सदस्य नहीं है।
- अरब सागर के दोनों देश एक-दूसरे से भौगोलिक, ऐतिहासिक और सांस्कृतिक रूप से जुड़े हुए हैं तथा दोनों के बीच सकारात्मक एवं सौहार्दपूर्ण संबंध हैं, जिसका श्रेय ऐतिहासिक समुद्री व्यापार संबंधों और भारत के साथ शाही परिवार की घनिष्ठता व ओमान के निर्माण में भारतीय प्रवासी समुदाय द्वारा निभाई गई मौलिक भूमिका जिसे ओमान की सरकार ने स्वीकार किया है, को दिया जाता है।
- संयुक्त आयोग की बैठक (JCM) और संयुक्त व्यापार परिषद (JBC) जैसे संस्थागत तंत्र दोनों के बीच आर्थिक सहयोग की देख-रेख करते हैं।
- रक्षा क्षेत्र सहयोग में प्रमुख द्विपक्षीय समझौते/MoUs में शामिल हैं; बाह्य अंतरिक्ष का शांतिपूर्ण उपयोग; प्रत्यर्पण; नागरिक और वाणिज्यिक मामलों में कानूनी तथा न्यायिक सहयोग; कृषि; नागरिक उड्डयन; दोहरे कराधान से बचाव; समुद्री मुद्दे आदि।
रक्षा समझौते:
- पश्चिम-एशिया में ओमान, भारत के सबसे पुराने रक्षा भागीदारों में से एक है और समुद्री डकैती विरोधी अभियानों में सहयोगी है।
- भारत ने ओमान को राइफलों की आपूर्ति की है। साथ ही भारत, ओमान में एक रक्षा उत्पादन इकाई स्थापित करने पर विचार कर रहा है।
- भारत और ओमान द्वारा अपनी तीनों सैन्य सेवाओं के बीच नियमित द्विवार्षिक द्विपक्षीय अभ्यास किया जाता है।
- सेना अभ्यास: अल नजाह
- वायु सेना अभ्यास: ईस्टर्न ब्रिज
- नौसेना अभ्यास: नसीम-अल-बहर
समुद्री सहयोग
- ओमान होर्मुज जलडमरूमध्य के प्रवेश द्वार पर स्थित है जिसके माध्यम से भारत अपने तेल आयात का पांचवाँ हिस्सा आयात करता है।
- भारतीय जहाज़ों को ओमान द्वारा दिये गए बर्थ अधिकार (Berth Rights), भारतीय नौसेना के लिये अदन की खाड़ी में समुद्री डकैती रोधी अभियानों को अंजाम देने के लिये महत्त्वपूर्ण हैं।
- भारत ने ओमान के दुकम बंदरगाह तक पहुँचने के लिये ओमान के साथ वर्ष 2018 में एक समझौते पर हस्ताक्षर किये।
- भारत इस क्षेत्र में रणनीतिक गहराई बढ़ाने और हिंद महासागर के पश्चिमी तथा दक्षिणी भाग में अपनी इंडो-पैसिफिक पहुँच को बढ़ाने के लिये ओमान के साथ मिलकर कार्य कर रहा है।
- इस क्षेत्र में चीन की बढ़ती पकड़ का मुकाबला करने के लिये भारत को ओमान के समर्थन की आवश्यकता है।
- भारत, जिबूती में पोर्ट ऑफ डोरालेह में अपना आधार स्थापित करने सहित इस क्षेत्र में चीन द्वारा रणनीतिक संपत्ति के अधिग्रहण से चिंतित है।