चंपारण सत्याग्रह

चंपारण सत्याग्रह क्यूँ हुआ ?

चंपारण सत्याग्रह 1917 में बिहार के चम्पारण जिले में हुआ | यह एक किसान आंदोलन था जो नील की खेती के लिए ब्रिटिश सरकार द्वारा लगायें गये अत्यधिक करों और शोषण के खिलाफ था |

यह आंदोलन अप्रैल 1917 में शुरू हुआ और जून 1917 तक चला |

यह आंदोलन महात्मा गाँधी जी के द्वारा शुरू किया गया था | गाँधी जी ने किसानो के अधिकारों तथा ब्रिटिश सरकार के खिलाफ सत्याग्रह करने का फैसला किया |

चंपारण सत्याग्रह का बहुत बड़ा प्रभाव पड़ा | इस आंदोलन ने ब्रिटिश सरकार को किसानों के अधिकारों के प्रति जागरूक किया और उन्हें नील की खेती की लिए लगाये गये अत्यधिक करों को कम करने के लिए मजबूर किया |

इस आंदोलन से किसानों को बहुत फायदा हुआ | उन्हें अपनी जमींन पर अधिकार मिला और उन्हें नील की खेती के लिए लगाये गये अत्यधिक करों से मुक्ति मिली | इसके अलावा, इस आंदोलन ने भारतीय संग्राम में एक मत्वपूर्ण मोड़ के रूप में कम किया और गाँधी जी को एक राष्ट्रिय नेता के रूप में स्थापित किया |

इस आंदोलन को महात्मा गाँधी जी ने शरू किया और नेतृत्व किया इस आन्दोलन में उनके साथ डॉ. राजेंद्र प्रशाद (जो भारत के पहले राष्ट्रपति बने), ब्रज किशोर प्रशाद (जो एक स्थानीय नेता थे, जिन्होंने चंपारण में सत्याग्रह करने के लिए निमंत्रण किया था), अनुग्रह नारायण सिंह (एक स्थानीय नेता थे), जे.बी.कृपलानी (एक स्वंत्रता सेनानी) थे |

चंपारण को इस आंदोलन के लिए चुनने के कई कारन थे :-

1. नील की खेती चंपारण में आम थी और इसके लिए किसानो को अत्यधिक कर्र देना पड़ता था |

2. किसानों का शोषण स्थानीय जमींदारो और ब्रिटिश सरकारों द्वारा किया जा रहा था |

3. गाँधी जी का प्रभाव बिहार में पहले से हि था, और उन्हें लगता था की चंपारण एक उपयुक्त स्थान होगा जहाँ वे अपने सत्याग्रह शुरू कर सकते है |

4. चंपारण के स्थान्ये नेताओं ने गाँधी जी को समर्थन दिया और उन्हें सत्याग्रह करने के लिए आमंत्रित किया |